जब तक हम जागरूक नागरिक नहीं बनेंगे, हमारा शोषण होता रहेगा। नेता और अधिकारी, दोनों ही हमारा शोषण करते रहेंगे और हम व्यवस्था को दोष देते रहेंगे। हम चिढ़ेंगे, कुढ़ेंगे पर विरोध नहीं करेंगे। अव्यवस्था, गरीबा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन की चक्की में पिसते हुए ‘आह-आह’ करते रहेंगे।