मैं भी … !
सभी आगे बढ़ने की चाहत में दौड़ रहे हैं। विकास की अंधी दौड़ में सभी शामिल हैं। बिना सोचे-समझे इन विकास कार्यों से विनाश हो रहा है। जनता ने नेताओं से अपना भला और देश का विकास चाहा था मगर इससे तो जनता के जान-माल से खिलवाड़ हो रहा है। यह भी तो जनता का शोषण कहलाएगा!