आप नहीं, तो कौन? अब नहीं, तो कब?
हम भारत को समृद्ध होते, उभरते और गरीबी से बाहर निकलते देखना चाहते हैं, लेकिन यह कैसे होगा नहीं जानते। परअब हमें अपना यह गैर ज़िम्मेदाराना रवैया बदलना होगा।
कवर स्टोरी
हम भारत को समृद्ध होते, उभरते और गरीबी से बाहर निकलते देखना चाहते हैं, लेकिन यह कैसे होगा नहीं जानते। परअब हमें अपना यह गैर ज़िम्मेदाराना रवैया बदलना होगा।
राजनीति
पिछले ब्लॉग ‘आज़ादी और समानता की वकालत करने वाले उदारवादी अर्थशास्त्री- फ्रेडरिक बास्टिएट’ में हमने फ्रांसीसी अर्थशास्त्री के बारे में पढ़ा। इस ब्लॉग में हम उनके निबंध 'दैट विच इज सीन एंड विच इज नॉट सीन' का परिचय पढ़ेंगे जिसमें फ्रेडरिक बास्टिएट पाठकों को एक अच्छे अर्थशास्त्री बनने के गुर सिखाते हैं।
जब तक हम जागरूक नागरिक नहीं बनेंगे, हमारा शोषण होता रहेगा। नेता और अधिकारी, दोनों ही हमारा शोषण करते रहेंगे और हम व्यवस्था को दोष देते रहेंगे। हम चिढ़ेंगे, कुढ़ेंगे पर विरोध नहीं करेंगे। अव्यवस्था, गरीबा, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कुप्रबंधन की चक्की में पिसते हुए ‘आह-आह’ करते रहेंगे।